कविता : बहुत ही दुख....
खाने के लिए मैं तुम को कभी
होटल कभी रेस्टोरेंट पहुंचाया
तुम्हें प्यार करने के चक्कर में
मैंने बहुत सारा पैसा उड़ाया
मगर तुम ने किसी के संग
डेरा कहीं पर डाला है
एकदम से मुझ को
अपने दिल से निकाला है
ये मेरे लिए बहुत ही
दुख और कष्ट वाला है
फिर भी मैंने तुम को
अपने दिल में संभाला है
फिर भी मैंने तुम को
अपने दिल में संभाला है.......
netra prasad gautam