एक मलाल था दिल में किसी की ग़ैरमौजूदगी का मगर यह बात किसको बताते हम,
पूरा सफ़र गुजरा ख़ामोशी में हमारा,
वो थी ही न साथ तो किसको सताते हम,
यह भ्रम था लोगों का कि खुश हैं हम जानिब-ए-मंजिल में ,
महफ़िलों में मुस्कुराना हमें भी पड़ा आख़िर अपनी तन्हाई किसको जताते हम..!
@कमलकांत घिरी.✍️