मोहब्बत की रंगों में रंग कर
तुमने मुझे रंगीन कर दिया
और जुदा हो कर दिल से
मुझे रंगहीन कर दिया।
किया इस क़दर मोहब्बत की
इश्क़ के बाजारों में मुझे नाम चिन
कर दिया ।
और बिछड़कर मुझसे
मुझे गमगीन कर दिया।
अब लाख पुकारें तेरा नाम
तेरी मुस्कान दिखती नहीं है।
पर निशानियां तेरे होने की
मिटती भी तो नहीं हैं।
और कैसे भूले दिल तुझे
जो एक बार बैठ गई इस दिल में
तू तो फिर जाती नहीं है ।
दिल को मज़बूत कर रक्खा है
चलो अब आंखों से आंसू निकलते
नहीं पर दर्दे दिल जाता भी नहीं है
लाख समझाओ दिल को पर
ये है की मानता नहीं है..
तुझे याद तो करता ज़रूर है..
तुझ पे आज़ भी मरता ज़रूर है..
तुझे आज भी याद करता ज़रूर है..