मुहब्बत करने वालों को आज ये पैगाम दे दें,
अनसुलझी इस कहानी को एक अंजाम दे दें।
दिल के दुश्मनों को, संदेशा खुले आम दे दें,
जितनी चाहो कर लो कोशिशें हमें दूर करने की,
मैं तुम्हें, तुम मुझे एक दूजे को अपना नाम दे दें।
मेरे मन के भावों का, तेरे मन के भावों से,
मिलन आज होगा, मेरे भावों का तेरे भावों से।
करती हो दीवाना मिला निगाहों को निगाहों से।
लोग करते हैं जो चुगलियाँ उन्हें विराम दे दें,
मैं तुम्हें, तुम मुझे एक दूजे को अपना नाम दे दें।
आँखों ही आँखों में जो बात करते हैं इशारों से,
लहर जैसे मिलाती है, किनारों को किनारों से,
बुनी है जो ख्वाहिशें, हमने अपने विचारों से,
हमसे जलने वालों को, ये किस्सा सरेआम दे दें,
मैं तुम्हें, तुम मुझे एक दूजे को अपना नाम दे दें।
🖊️सुभाष कुमार यादव