तेरे यादों के दर्द में रो रहे है हम ll
सारी दुनिया से छुपा कर खुशियों का जहर पी रहे है हम ll
तन्हा जो छोड़ा है तुमने मुझे l
इस तन्हाई के दर्द में धीरे धीरे मार रहे है हम ll
तेरी यादों की जख्म में l
खुशियों का दावा लेना भूल गए है हम ll
वो ख्वाबों की दुनिया किसी और के साथ सजाने लगे थे ll
हमें देख के वो अनजान बने थे ।l
छुपाने पड़े थे हमें भी आँसूँ ।
सनम जब किसी और के होने लगे थे ।।
नज़र जब कभी इत्तफाक से मिली तो
उन्हें देख कर हम मुस्कराने लगे थे ।।
यहाँ प्यार सबको कहाँ मिल सका है ।
यादों मे जीवन हम बिताने लगे थे ।।
कभी चैन न एक पल आया हमे ।l
फिर भी अपना दुखड़ा सबसे हम छुपा रखे थे ।
तरसती है आँखें उसे एक पल देखने को ।l
जिन्हें दिल में कभी अपना हम बसाया करते थे ।।
हुए दूर हमसे वो आज ।
जिन्हें ज़िन्दगी हम अपना मानने लगे थे ।।
लेखक
शिवम् जी सहाय