शीर्षक: दोनों बात अलग थोड़ी हैं
चाय कहो तुम,इश्क़ कहो या
दोनों बात अलग थोड़ी हैं!!
उससे मोहब्बत, रब की इबादत
दोनों बात अलग थोड़ी हैं!!
उससे दोस्ती या फिर मोहब्बत
दोनों बात अलग थोड़ी हैं
उससे झगड़ा या फिर मोहब्बत
दोनों बात अलग थोड़ी हैं!!
उसका दिखना, रब का दर्शन
दोनों बात अलग थोड़ी हैं!!
उस पे जीना, या मर जाना
दोनों बात अलग थोड़ी हैं!!
उससे जुदाई, जग से रिहाई
दोनों बात अलग थोड़ी हैं!!
~अभिषेक शुक्ल'