ग़म ये नहीं है कि हम तन्हा हैं ।
ग़म तो ये है कि हम भीड़ में भी तन्हा हैं ।
वन्दना सूद
इतना ना चाहो हमें,
कि ख़ुद को ही भूल जाओ,
बस अपने ज़हन में हमें रहने दो,
इतना ही काफी है,यही काफी है..
वन्दना सूद
ज़िन्दगी के खेल कभी खत्म नहीं होते,
पलक झपकते ही एक नया खेल आपके इंतज़ार में होता है ।
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है