हर परिस्थिति मे हौसला उनमे रहा।
हारी बाजी जितना धर्म स्त्री में रहा।।
प्रेरणा पाओगे उनसे जुड़ाव देखकर।
समय का प्रबंधन बखूबी उनका रहा।।
बचपन से सीख देने वाली माँ रहती।
माँ के आशीर्वाद से बनाया घर रहा।।
उनके बिना संसार में उन्नति अधूरी।
ज्ञान विज्ञान का प्रसार अद्भुत रहा।।
मुक्तिबोध उनके पास देखा 'उपदेश'।
हासिल उसको हुआ जिसे प्रेम रहा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद