सभी के नसीब में सबकुछ नहीं होता हैं ,
कुछ को कमाना पड़ता हैं ।
बिन कुछ किए ही नही मिलता सबकुछ
बहुत कुछ हमे भी कमाना पड़ता हैं।
हा तो बात हैं , मिडिल क्लास ( मध्यम वर्ग)
के लोगो की ,,,
मिडिल क्लास के बच्चो के सभी जीदें पूरी नही होती , बचपन में खिलोने की, किशोर अवस्था में न जाने कितनी ज़िदे पूरी नही होती।
इसी पर मुझे एक शायरी याद आयी हैं ,
तुम्हे तो सब मिल गया पका पकाया ....
हमें तो पकाना पड़ता हैं ,
मतलब ,
आपको तो खानदानी सबकुछ मिला हैं हमें तो खुद बनाना पड़ता हैं
✍️ देवराज मालवीय (devraj malviya)