दिलों में कम दिमागों में ज्यादा रहता हूँ मैं
फिर भी कहाँ लोगों को समझ आता हूँ मैं
घर पे बहुत कम बुलाते है लोग मुझे
मइयत पे बिन बुलाये चला जाता हूँ मैं
महफ़िलों को जाते हुए अक्सर लोग
पूछते है क्यों नहीं बुलाया जाता हूँ मैं
देख कर दुनिया खुद से पूछता हूँ मैं,
क्यों किसी को बेवजह याद आता हूँ मैं
घर में अपने भी कहाँ रह पाता हूँ मैं
आता है घर पे कोई चला आता हूँ मैं
बितानी है बस एक उम्र दुनिया में मुझे
सदियों को दामन में छुपाना चाहता हूँ मैं