इस दिल की दास्तां सुनाएं कैसे,
इस दिल का हाल तुम्हें बताएं कैस?
ये दिल है मेरा शीशे का महल,
पत्थर मारे गए हैं इस पर कई।
इस दिल में मेरे कई लोग बसते हैं,
कुछ अपने तो कुछ बेगाने बसते हैं।
इस दिल की दास्तां..........।
कुछ अपने इस दिल से निकल गए तो
कुछ बेगाने इस दिल के बादशाह बन गए।
कुछ अपनों ने तोड़ा इस दिल को तो
उन बेगानो ने अपना बन
फिर जोड़ दिया इस दिल को।
इस दिल की दास्तां.............।
ये दिल मेरा बड़ा नादान है,
हर किसी को अपना बना लेता है।
पर उन्हें तो दिल तोड़ने का शौक है,
खेलते हैं मेरे दिल से।
इस दिल की दास्तां...........।
इस दिल ने कितनी ही चोटें खाई है,
नादान है फिर भी नहीं संभला ।
इस दिल की दीवारों पर
नाम उन सबका लिखा है,
किसने ज़ख्म दिए और
किसने मरहम लगाए हैं।
इस दिल की दास्तां.........।
ये दिल मेरा हर पल धड़कता है
अपनों की याद में,
पर उन्हें ये धड़कने
सुनाई देती ही नहीं।
इस दिल को बहुत प्यार है अपनों से,
पर वो नासमझ समझते ही नहीं।
इस दिल की दास्तां.........।
ये दिल प्यार चाहता है,
पर प्यार इसे करता नहीं कोई ।
इस दिल को सुकून चाहिए,
पर तकलीफ़ देता है हर कोई।
इस दिल की दास्तां..........।
ये दिल सभी को चाहता है,
पर इसे नहीं चाहता कोई।
ये दिल मेरा
ख़्वाहिशें पाले हुए हैं कई,
पर इसकी ख़्वाहिशें
पूरी नहीं होने देता कोई।
इस दिल की दास्तां..........।
इस दिल को मेरे मशहूर होना है,
पर लोगों को तो इसे नाचीज़ बनाना है।
इस दिल को तोड़ा है हर किसी ने,
पर इसने हर रिश्ते को जोड़ना चाहा है।
----रीना कुमारी प्रजापत