
आख़िर जब बात आती है राजनीति की तो , युवाओं को क्यों कहा जाता है राजनीति बड़ी गंदी चीज है इससे दूर रहो बच्चों क्या हमारी राजनीतिक समझ यहीं है क्या राजनीति सिर्फ बाहुबलियों माफियाओं या कुछ तथाकथिथ सरुखदारो की शरणस्थली है , जी नहीं राजनीति को हमने ये जामा पहना रक्खा है ....
आओ आज चुनाव के इस महापर्व पर देखें क्या हो हमारी राजनीतिक जिम्मेदारी , आज देश के कुछ सजग लोग चुनाव में भाग नहीं ले रहे उनका कहना होता है हमारे एक वोट से क्या होगा , साहब बूंद बूंद से घड़ा भरता है और बूंद बूंद की बारिश से ही नदियों में विशाल जलराशि आती है , और वही जलराशि विशाल सागर को देती है . क्या यही है हमारी राजनितिक ज़िम्मेदारी ,
क्यू होनी चाहिए राजनितिक जागरूकता और सजगता हम बात करते हैं सामाजिक आर्थिक सुधारों की कहीं हम बात करते हैं सामाजिक समावेशी विकास की फिर हम बात करते हैं आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की कहीं हम बात करते हैं पर्यावरण की, कहीं हम बात करते हैं किसानों की जवानों की ऐसे तमाम मुद्दे आख़िर सब सुधार की जननी कौन है आपने सोचा राजनीति है इनकी माँ..
परंतु नहीं हमने तो राजनीति में सिर्फ देखा है तो बस एक राजनीतिज्ञ और उसकी निजी जिंदगी , और बस कोश्ते रहे हैं कि भई राजनीति तो गंदा नाला है , तो सफाई अभियान कौन करेगा आओ युवाओ बढ़ो और बढ़ चढ़ के भाग लो , पर सबमें याद रहे एक सामाजिक प्रणेता बनके कभी राजनेता बनके नहीं ..
एक परिवर्तन की धारा में शामिल हो इससे दूर मत भागे परंतु इसे स्वस्थ बनाया जाए और गहन परिवर्तन की तरफ रुख किया जाए .......
तेज प्रकाश पांडे (युवा कवि)
[इको क्लब अध्यक्ष, जिला सतना, मध्य प्रदेश]

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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