दिल कहता है,
कहता रहता है,
कुछ लिख ले,
और कुछ पढ़ ले,
मन करता है,
करता रहता है,
कुछ करले,
धन दौलत पा,
समझ नहीं आता,
क्या करना?
सुनु दिल की या मन की,
लिखना पढ़ना भी है ज़रूरी,
और ज़रूरत भी धन की।
----अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र'
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