ख्वाब आते ही ख्वाहिशों में खोने लगा जीवन।
याद किये बगैर उनको लगता नही अपना मन।।
हँसने हँसाने के दिन रुखसत हुए ख्वाब लाया।
बैचैनी में उधेड़ बुन उदासी में गुमसुम सा मन।।
माँ का सिखाया हुआ कुछ भी काम नही आया।
बदलते ज़माने में जाने क्यों घायल हुआ मन।।
भटक न जाऊँ अपने मकसद से भरी जवानी में।
चाहतों के हिसाब से आया वक्त नासूर मेरा मन।।
अब सम्भव लगती ही नही वापसी मेरी 'उपदेश'।
चुना जो रास्ता चलना पड़ेगा लगाना पड़ेगा मन।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




