नौ मास कर उदर में धारण,
रक्त से करती उसका पोषण,
अथाह पीड़ा को करती सहन,
तब देती है वो एक नवजीवन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।
जब कभी मन हुआ निराश,
देती सबल, जगाती विश्वास,
निराश मन में भर कर आस,
हर लेती हो हर एक संत्रास,
अपने धर्म का करती पालन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।
अपने दायित्वों का कर वहन,
सावित्री-सा है तुम्हारा जीवन,
सीता सम फिरती वन - वन,
वनवास जैसे उर्मिला राजभवन,
करती रही उद्धार आजीवन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।
बिना तुम्हारे सब कुछ नश्वर,
तुम बिन अधूरे नर और ईश्वर,
शक्ति के ही हैं अंश परमेश्वर,
स्वयं महादेव बने अर्धनारीश्वर,
देव बसते,जहाँ हो तुम्हारा पूजन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।
अज्ञानी हूँ,नहीं मुझे कुछ ज्ञान,
करूँ वर्णन, नहीं इतना विद्वान,
करता हूँ नारियों का सम्मान,
हो कोई त्रुटि तो देना क्षमादान,
सकल संसार करता है वंदन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




