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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

धन्य हो नारी, तुमको नमन

नौ मास कर उदर में धारण,
रक्त से करती उसका पोषण,
अथाह पीड़ा को करती सहन,
तब देती है वो एक नवजीवन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।

जब कभी मन हुआ निराश,
देती सबल, जगाती विश्वास,
निराश मन में भर कर आस,
हर लेती हो हर एक संत्रास,
अपने धर्म का करती पालन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।

अपने दायित्वों का कर वहन,
सावित्री-सा है तुम्हारा जीवन,
सीता सम फिरती वन - वन,
वनवास जैसे उर्मिला राजभवन,
करती रही उद्धार आजीवन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।

बिना तुम्हारे सब कुछ नश्वर,
तुम बिन अधूरे नर और ईश्वर,
शक्ति के ही हैं अंश परमेश्वर,
स्वयं महादेव बने अर्धनारीश्वर,
देव बसते,जहाँ हो तुम्हारा पूजन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।

अज्ञानी हूँ,नहीं मुझे कुछ ज्ञान,
करूँ वर्णन, नहीं इतना विद्वान,
करता हूँ नारियों का सम्मान,
हो कोई त्रुटि तो देना क्षमादान,
सकल संसार करता है वंदन,
धन्य हो नारी, तुमको नमन।
🖊️सुभाष कुमार यादव




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात सहित नमस्कार सुभाष जी आपकी नारी वंदन से संबंधित रचना बहुत सुन्दर है।

सुभाष कुमार यादव replied

धन्यवाद आदरणीय यादव सर। सादर प्रणाम।🙏

वन्दना सूद said

शुक्रिया sir इतना अच्छे से नारी के व्यक्तित्व को लिखा आपने 👏👏👌👌

सुभाष कुमार यादव replied

🙏🙏🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत said

बहुत खुब 👌✍️🙏प्रणाम

सुभाष कुमार यादव replied

प्रणाम 🙏🙏🙏

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