New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.



The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

New रचनाकारों के अनुरोध पर डुप्लीकेट रचना को हटाने के लिए डैशबोर्ड में अनपब्लिश एवं पब्लिश बटन के साथ साथ रचना में त्रुटि सुधार करने के लिए रचना को एडिट करने का फीचर जोड़ा गया है|
पटल में सुधार सम्बंधित आपके विचार सादर आमंत्रित हैं, आपके विचार पटल को सहजता पूर्ण उपयोगिता में सार्थक होते हैं|

The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Show your love with any amount — Keep Likhantu.com free, ad-free, and community-driven.

Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

गीत विजय के गाना तुम

कोमल, कपोल, कलियां, किसलय
पुष्प बन मुस्काना तुम
सुगंध अपनी बहारें अपनी
गंधमादन गिरीं की मलय पवन
बन बिखर जाना तुम
मर्यादा में रहकर गीत विजय
के अपने रच जाना तुम
फिर यह जहां तुम्हारा है
हर परिवेश हर परिधान तुम्हारा है
जिस संस्कृति में आंखें खोली
उसको आगे बढ़ाना तुम
कोई उंगली उठ ना पाये तुम पर
संस्कारों की ऐसी गंगा बहाना तुम
निज सभ्यता,संस्कृति का
परचम ऊंचा पहरा कर
विश्व पटल पर छा जाना तुम
उठ जागो पूरब की ओर देखो
पश्चिमी सभ्यता का त्याग करो तुम
उदीयमान होता है सूर्य जहां से
उस दिशा का जयगान करो तुम
अस्तांचल के सूर्य सा ना स्वयं
को गतिमान करो तुम
मातृभूमि पर हो जब संकट
लक्ष्मीबाई सा हुंकार भरो तुम
पन्नाधाय सा त्याग तुममें
जीजाबाई सी मात बनों तुम
सीता का आदर्श हो
पतिव्रत में सावित्री तुम
लीलावती का भाष्य गणित
गार्गी की हो विवेचना तुम
गौरवशाली है अतीत तुम्हारा
इसक़ी उंगली थाम चलों तुम
मान हो तुम हमारा अभिमान हो
जाओ सम्मानितइतिहास रचो तुम
✍️#अर्पिता पांडेय




समीक्षा छोड़ने के लिए कृपया पहले रजिस्टर या लॉगिन करें

रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (5)

+

रीना कुमारी प्रजापत said

अति उत्तम भाव

Arpita pandey replied

धन्यवाद आदरणीया रीना जी 🙏 सादर नमन आपको

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

बहुत सुन्दर रचना बहुत सुन्दर भाव - प्रणाम है ऐसी भावनाओं को और आपको

Arpita pandey replied

आपका हार्दिक आभार आदरणीय ऐसे ही हौसला अफजाई करते रहियेगा सादर प्रणाम आपको

Shakshi said

Bahut bdiya rachana...ase hi likhte rahiye.

Arpita pandey replied

धन्यवाद आदरणीया साक्षी जी ऐसे ही उत्साह वर्धन करते रहियेगा सादर प्रणाम

Shyam Kumar said

Bahut khoob mam.sabdo ka bhahut sundar chayan.

Arpita pandey replied

बहुत बहुत धन्यवाद आपका सादर प्रणाम

डॉ कृतिका सिंह said

Sundar prastuti adhbhut

Arpita pandey replied

हार्दिक आभार आपका आदरणीया कृतिका जी

कविताएं - शायरी - ग़ज़ल श्रेणी में अन्य रचनाऐं




लिखन्तु डॉट कॉम देगा आपको और आपकी रचनाओं को एक नया मुकाम - आप कविता, ग़ज़ल, शायरी, श्लोक, संस्कृत गीत, वास्तविक कहानियां, काल्पनिक कहानियां, कॉमिक्स, हाइकू कविता इत्यादि को हिंदी, संस्कृत, बांग्ला, उर्दू, इंग्लिश, सिंधी या अन्य किसी भाषा में भी likhantuofficial@gmail.com पर भेज सकते हैं।


लिखते रहिये, पढ़ते रहिये - लिखन्तु डॉट कॉम


© 2017 - 2025 लिखन्तु डॉट कॉम
Designed, Developed, Maintained & Powered By HTTPS://LETSWRITE.IN
Verified by:
Verified by Scam Adviser
   
Support Our Investors ABOUT US Feedback & Business रचना भेजें रजिस्टर लॉगिन