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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बेटे-बेटी में भेद न कर।

है राष्ट्र प्रगति के पथ पर,
तो पर गांव हमारा पीछे है।
बेटे ने तो आकाश छुआ पर,
आज भी बेटी नीचे है।।
अच्छी शिक्षा,सुविधाओं का,
बेटा ज्यादा अधिकारी है।
बेटी तो जितना काम करे,
बस उतनी बेटी प्यारी है।।
सब सहती है न कहती है,
आँखों से आंसू बहते हैं।
पढ़-लिखकर रेल चलाएगी,
ये लोग गांव के कहते हैं।।
है गांव हमारा गंदा न,
बस लोग यहां के गंदे हैं।
अनपढ़, अनभिज्ञ, अनाड़ी हैं,
और लालच में वो अंधे हैं।।
कर दें हम युग का परिवर्तन ,
आओ मिलकर नई राह चलें।
बदलें प्राचीन विचारों को,
आदत,व्यवहार, सोच बदलें।।
पाए अच्छी शिक्षा बेटी,
इतना तो धन संचित करना।
पढ़-लिखकर बने आत्मनिर्भर,
शिक्षा से न वंचित करना।।
बेटे को पा अत्यंत खुशी,
बेटी को पाकर खेद न कर।
ये इक सिक्के के दो पहलू,
बेटा-बेटी में भेद न कर। ।

Shikha Prajapati
Kanpur dehat




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

वाह बहुत ही खूबसूरत और लाजवाब रचना, सुप्रभात सहित सादर नमस्कार।

Shiv Charan Dass said

बिलकुल सही आपने कहा है समय की पुकार

वन्दना सूद said

बहुत सुंदर रचना 👏👏

Shikha Prajapati said

Thanks to all

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मनीषा

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Jun 03, 2024 | डायरी | मनीषा  | 👁 857,783
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