है राष्ट्र प्रगति के पथ पर,
तो पर गांव हमारा पीछे है।
बेटे ने तो आकाश छुआ पर,
आज भी बेटी नीचे है।।
अच्छी शिक्षा,सुविधाओं का,
बेटा ज्यादा अधिकारी है।
बेटी तो जितना काम करे,
बस उतनी बेटी प्यारी है।।
सब सहती है न कहती है,
आँखों से आंसू बहते हैं।
पढ़-लिखकर रेल चलाएगी,
ये लोग गांव के कहते हैं।।
है गांव हमारा गंदा न,
बस लोग यहां के गंदे हैं।
अनपढ़, अनभिज्ञ, अनाड़ी हैं,
और लालच में वो अंधे हैं।।
कर दें हम युग का परिवर्तन ,
आओ मिलकर नई राह चलें।
बदलें प्राचीन विचारों को,
आदत,व्यवहार, सोच बदलें।।
पाए अच्छी शिक्षा बेटी,
इतना तो धन संचित करना।
पढ़-लिखकर बने आत्मनिर्भर,
शिक्षा से न वंचित करना।।
बेटे को पा अत्यंत खुशी,
बेटी को पाकर खेद न कर।
ये इक सिक्के के दो पहलू,
बेटा-बेटी में भेद न कर। ।
Shikha Prajapati
Kanpur dehat