दिल में आज फिर से खुराफात हुई।
अपनी तस्वीर की आईने से बात हुई।।
मन गाँव छोड़ आई शरीर से अकेली।
थकान की उलझन से मुलाकात हुई।।
पढ़े लिखे कैदी माचिस से मकान में।
मानसिक तनाव की गुमसुम रात हुई।।
दो ज़न दोनो कमाने वाले मजा बहुत।
लेटते ही खो गए ना शह ना मात हुई।।
टारगेट के पीछे दौड़ता दिन बीत रहा।
फिर भी 'उपदेश' अद्भुत मुलाकात हुई।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद