मोहब्बत का बुखार दूरियाँ बढाती देखी गई।
दर्द-ए-दिल की दवाई की आस में देखी गई।।
हर रोज़ की मर्जी बंदिशों में साँस भरती रही।
दिल के झरोखे से गर्म हवा फेंकते देखी गई।।
कहीँ दूर से उड़ती हुई धूल के गुबार को देखा।
करीब जाने के लिए असमंजस मे देखी गई।।
आज किस कदर प्रभावित हुई मोहब्बत से।
तन्हा रहकर 'उपदेश' पलकें बिछाए देखी गई।।
- उपदेश कुमार शाक्यवार 'उपदेश'
गाजियाबाद