"रास्ते तो खुद बन जाते हैं”
कदम बढ़ा के देख ज़रा,
रास्ते तो खुद बन जाते हैं।
जो रुक जाए डर के साए में,
वो मंज़िल से दूर रह जाते हैं।
हवा चले तो सिर उठाकर चल,
आंधियाँ भी सिर झुका लेती हैं।
जो दिल में यक़ीन रखे खुद पर,
वो किस्मत भी झुका लेती हैं।
कभी अकेले चलना पड़ता है,
भीड़ में पहचान खो जाती है।
जो खुद की आवाज़ सुन लेता है,
वही सच्ची उड़ान पाता है।
कभी ख़ामोशियों से बात कर,
कभी आँसुओं को पढ़ लेना।
हर गिरावट एक सबक देती है,
हर ज़ख्म को मुस्कान कर लेना।
कभी वक़्त तेरा साथ न दे,
तो वक़्त को बदल देना।
हार को जीत का सबक समझ,
दर्द को भी संबल देना।
ना सोच कि कौन तेरे साथ है,
ना गिन कि कितनी मुश्किलें हैं।
जो चल पड़ा अपने विश्वास से,
उसके आगे पर्वत भी झुकें हैं।
और जब थकान कहे - अब बहुत हुआ,
तो बस आसमान की ओर देख लेना…
क्योंकि कुछ सपने अभी बाकी हैं,
कुछ सफ़र अभी अधूरे हैं,
और शायद… वही अधूरापन ही,
ज़िन्दगी का सबसे ख़ूबसूरत हिस्सा है।
~अभिषेक मिश्रा 'बलिया'

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



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