"खुला आसमान"
खुला आसमान है सारा सामने हमारे,
खुदको सारी बंदिशों से हम छुड़ाते रहेंगे,
जब तक उम्मीदों की डोर मजबूत रहेगी,
तब तक हम जिंदगी की पतंग उड़ाते रहेंगे।
हजारों उलझने लेके आएगी जिंदगी,
इसके सवाल हमेशा हमें सताते रहेंगे,
जब तक खुद से ही सवाल पूछते रहेंगे,
तब तक अपने अंदर से ही जवाब आते रहेंगे।
भले ही मंजिल उस पार है,
और शायद कदम भी हमारे डगमगाते रहेंगे,
जब तक हौसलों का पुल बंधा रहेगा,
तब तक हम मुश्किलों की नदी पार लगाते रहेंगे।
कुछ ख्याल आएंगे दिल का पता पूछते पूछते, आके सफ़र की कहानियाँ हमें सुनाते रहेंगे, जब तक सूनसान रहेगी ज़मीन दिल की,
तब तक हम दिल में कविताओं का घर बनाते रहेंगे।
रचनाकार- पल्लवी श्रीवास्तव
ममरखा, अरेराज ,पूर्वी चम्पारण (बिहार )

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




