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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

वो कहते नहीं पर

वो कहते नहीं पर,याद मुझे हर वक्त करते हैं,
वो कहते नहीं पर,याद मुझे हर वक्त करते हैं,
वरना यूं ही नहीं मुझे वो दिन - रात याद आया करते हैं।
वो जताते नहीं पर,प्यार मुझसे बहुत करते हैं,
वरना यूं ही नहीं हम उनसे बेहद प्यार करते हैं।।

वो कहते नहीं .....
वो जताते नहीं ......

वो देखते नहीं मुझे,जब मिलती हूॅं मैं उनसे,
पर फिर भी वो देखते मुझे ही है(2)
वरना यूं ही नहीं मैं कहीं और, मेरी रूह कहीं और हुआ करती है।
वो दिखाते नहीं पर,उनके दिल में हम हमेशा रहते हैं,
वरना यूं ही नहीं हमारे दिल पर राज़ वो किया करते हैं।।

वो देखते नहीं .......
वो दिखाते नहीं.......

वो कहते नहीं कुछ पर,नहीं कह कर भी बहुत कुछ कह जाते हैं (2)
वरना यूं ही नहीं उनके दिल की बात को महसूस हम करते।
वो पता लगने देते नहीं पर,हर वक्त बातें सिर्फ़ मेरी ही करते हैं,
वरना यूं ही नहीं हम भी उनकी बातें किया करते।।

वो कहते नहीं......
वो पता लगने देते नहीं........
"रीना कुमारी प्रजापत"




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Nice 👍👍 Bahut khoob Mam

रीना कुमारी प्रजापत replied

शुक्रिया

Lekhram Yadav said

कुछ लोगों का प्यार दिखावा होता और कुछ उसे सिर्फ नजरों से ही बयां करते हैं मगर आपने हर पहलू को उजागर करके एक सुन्दर रचना पेश की है। बह

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏

Lekhram Yadav said

प्यारी बहना आपकी रचना बहुत अच्छी लगी दिल बाग-बाग हो गया।

रीना कुमारी प्रजापत replied

धन्यवाद भय्या🙏 मेरी कविता पढ़ने और उस पर एक प्यारा सा कमेंट करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया

ताज मोहम्मद said

बहुत वो जो भी है बहुत ही खुशनसीब है। बहुत उम्दा रचना।

रीना कुमारी प्रजापत replied

बहुत बहुत शुक्रिया आपका

वन्दना सूद said

Beautifully written 👏👏

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

बहुत बढ़िया रीना जी वाह।

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