चराग जलाने गए तो जल गईं उंगलियां
जो बुझाने गए हम तो उठ गई उंगलियां
इश्क की तस्वीर बनाते बनाते जाने कब
एक मुकाम पे हमारी रुक गई उंगलिया
सनम कदा है यहां कोई बुत परस्ती नहीं
नजर जो झुकी उनकी झुक गई उंगलियां
यहाँ तुम्हारे लिए हम दुआ कर रहे हैं सब
खुदा की इबादत में तो जुड़ गई उंगलियां
दास चेहरे पे रौनक़ मुहब्बत की आ गई है
जब से मेहंदी हथेली संग रच गई उंगलियां ।