भ्रष्टाचार की पोटली हास्य व्यंग
डॉ एच सी विपिन कुमार जैन विख्यात
न्याय को,
ठेंगा दिखलाता है ।
सुना है,
आया है ऐसा जांच अधिकारी।
जो नाक रगड़़वाता है ।
कितना किया है, थैले में अंदर।
रजिस्टर मंगवा रहा है।
बेचारा भागता फिर रहा है ।
सड़क पर पड़ा चिल्ला रहा है ।
उन दोनों को भी, बुलवाइए ।
उनके थैलों को भी, खुलवाइए।
मैं अकेला नहीं,
मेरी मंडली है।
यह भ्रष्टाचार के पोटली,
मेरे अकेले की नहीं हम सब की है।