चुनौतियाँ अनेक क्लिष्ट कष्ट रूप रोग सी.
सदैव आ रहीं यहाँ वहाँ विषैल भोग सी.
विभत्स मानसी कुरूप देह दाग कालिमा.
कभी नहीं दिखी पवित्र स्वस्थ भव्य लालिमा.
भयंकरी कुलक्षणी असभ्य ज्ञानहीन है.
किया करे मनुष्य को सदैव तुच्छ दीन है.
असाध्य क्लेशकारिणी सदैव दोषयुक्त है.
सदैव गर्म देह ज्वाल क्रोध तोषमुक्त है.
कठोरता दरिद्रता अवंदनीय़ भावना.
प्रशंसनीय है नहीं समस्त कूट कामना.
अनेक रूप रंग की बनी हुई है मालिका.
दिखे अशांत शब्द भाव अर्थ वाक्य तालिका.
विशाल काय रोध रश्मि तापपंथगामिनी.
विरोध लक्ष्य द्वेष भाव हानि राह कामिनी.
लगी हुई निरन्तरा सदैव जन्म संग में.
कुचाल मात्र चाह है पगी अनीति रंग में.
विशेष जीव बंधु से कभी कृपा दिखी नहीं.
कला दुखी करे सदा सुधा कभी बनी नहीं
डॉ. राम बली मिश्र