चलो एक बार यूं ही
चलो एक बार यूं ही गले लगा लें तुझ को
तुम्हें पाने के लिए अपना बना लें तुझ को
रोज, निकलो, छत पर, बन के चांद यूं ही
इसी, तरह से, रौशन, हम कर लें खुद को
सौंप दिया है दिल हमने अब ये मर्जी तेरी
कर लो सौदा इस का, या पा लो मुझ को
काश दे जाए मुझे कोई, इस दर्द की दवा
दवा देने के बहाने ही, वो बुला ले मुझको
याद आते ही तेरी नम हो जाती हैं आंखें
रोकेंगी भला कैसे, ये तेरी यादें
मुझ को
खता मेरी नहीं, किसी और की, है यादव
सजा देने, के बहाने, वो बुला ले मुझ को
- लेखराम यादव
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