सारे जग में मने दिवाली
गीत तुझ पर लिखूं या लिखूं आरती,
लेखनी को ये वरदान दे भारती।
दे के प्राणों की आहुति तुझे पूजते,
फांसी के फंदों पर झूम कर झूलते,
उन शहीदों को फिर जन्म दे भारती।
इस जहां में तेरा शीश ऊंचा रहे,
विश्व में तेरा सम्मान शाश्वत रहे।
तेरे जैसी नहीं कोई मां भारती।
जाने कितने किए होंगे हमने जतन,
जाने कितने लिए होंगे हमने जनम।
तब मिली गोद तेरी हमें भारती।
दीप दुनिया में हिंदी के जलते रहें,
फूल हिंदी के शब्दों के खिलते रहें,
सारे जग में दिवाली मने भारती।
ओढ़ लेती है जब तू तिरंगी चुनर,
सारी दुनिया की लगती है तुझको नजर,
काला टीका लगा दूं तुझे भारती।
गीत तुझ पर लिखूं या लिखूं आरती ,
लेखनी को ये वरदान दे भारती।
गीतकार अनिल भारद्वाज एडवोकेट हाईकोर्ट ग्वालियर