चले आइए हमारे शहर में,
चले आइए हमारे शहर में,
मुलाकात की वहां कोई बात नहीं होती,
आंसुओं की वहां कोई बरसात नहीं होती,
दिलों में वहां कोई जान नहीं होती,
मोहब्बत की कोई तकरार नहीं होती,
मरने की वहां राह आसान नहीं होती,
मगरूर होने की वहां चाह नहीं होती,
सिर्फ तुम्हारी प्यास नहीं होती,
मुस्कान की गर में गहरी धार नहीं होती,
चले आइए हमारे शहर में,
दीवारों को सुनने की आस नहीं होती,
मन में ख्यालों की सांस नहीं होती,
हमसे हमारी बात नहीं होती,
पैरों के बढ़ने प्यास नहीं होती,
बंधनों से जुड़ने का प्रयास नहीं होता,
न कोई सोता,
न कोई जगता,
न कोई चलता,
न कोई रूकता,
न कोई थकता,
न कोई रोता,
न कोई हंसता,
न कोई जीता,
न कोई मरता,
न कोई लड़ता,
न कोई मिलता,
न कोई पाता,
न कोई खोता,
न कोई जाता,
न कोई आता,
न कोई भाता,
न कोई सताता,
न कोई हारा,
न कोई जीता,
फिर भी,
चले आइए हमारे शहर में,
हमें भी नहीं पता,
किस दीपक से जलता,
किस अंधकार से बुझता,
सारे शहर से,
हमारे शहर में,
चले आइए हमारे शहर में,
चले आइए हमारे शहर में...
- ललित दाधीच।।