अश्क़ हैं हासिल वफ़ा के नाम पर अक्सर
जख्म हैं लाजिम वफ़ा के नाम पर अक्सर
कई बातों में दुनियां का कोई सानी नहीं है
क़त्ल हैं वाजिब वफ़ा के नाम पर अक्सर
सूख सकता है कभी भी ये प्यार का सागर
प्यास हैं हासिल वफ़ा के नाम पर अक्सर
कोई कुछ कम नहीं है शमा हो या परवाना
ये रूप हैं ज़ालिम वफ़ा के नाम पर अक्सर
कोई कुछ भी कहता रहे रिंदे मदहोश रहेंगे
साकी हैँ ग़ाफ़िल वफ़ा के नाम पर अक्सर
दास दुनिया देखती है सब कारनामें उनके
सजा हैं शामिल वफ़ा के नाम पर अक्सर II