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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

बदलती हुई शिक्षा नीतियों के प्रभाव व परिणाम - वेदव्यास मिश्र


शिक्षा व शिक्षा नीति - शिक्षा नीति को समझने से पहले हमें ये समझना बहुत ही ज़रूरी है कि शिक्षा आखिर है क्या ??

शिक्षा-
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एक साधन है..एक सीढ़ी है जिसके जरिये हम मानव सभ्यता के साथ- साथ ताल से ताल मिलाकर, चलकर एवं रहकर आत्मिक व मानसिक विकास कर सकें ।

शिक्षा का प्रयोजन-
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आत्मिक व मानसिक अनुभूति को हम मुख्यत: दो भागों में बाँट सकते हैं जैसे- संज्ञानात्मक व सह-संज्ञानात्मक ।

अब इसे समझते हैं आसान शब्दों में जैसे - भाषा यानि बोलकर व सुनकर सीखा गया ज्ञान एवं गणितीय ज्ञान जिसमें संक्रियात्मक पहलू जैसे विशेषत: जोड़ व घटाव के बाद गुणा व भाग की प्रारंभिक जानकारी ही बेसिक शिक्षा है जो हर बच्चे के लिए जरूरी है ! जो कि संज्ञानात्मक है।
खेलकूद, गीत-गायन,रूचि सब सह-संज्ञानात्मक हैं जो किसी भी विद्यार्थी के लिए बहुत ही जरूरी है ।
जो शिक्षा का अधिकार भी है उस विद्यार्थी के लिए।

शिक्षा नीति -
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अगर आँकड़ों में न जाकर सरल ढंग से समझें तो शिक्षा का सम्बन्ध निश्चित रूप से उम्र, लिंग भेद व कक्षा स्तर के अनुसार प्रभावी होता है जिस पर समाज का रुढ़िवादी दृष्टकोण भी प्रभाव डालता है यानि यह एक महत्वपूर्ण कारक है ।

इसलिए एक ऐसी नीति की जरूरत थी जो भेदभाव रहित हो ।

आजादी के बाद प्रारंभिक तौर पर निरक्षर लोगों का प्रतिशत बहुत ज्यादा था ।
इसलिए लोगों को साक्षर बनाने पर ज्यादा जोर दिया गया ।

खेलकूद, योग यानि सह-संज्ञानात्मक व संज्ञानात्मक( बौद्धक) स्तर पर विशेष जोर दिया गया अत: शिक्षा नीति बनाते समय मुख्यत: प्रायमरी, मिडिल, हायर सेकंडरी उसके बाद बैचलर डिग्री फिर मास्टर डिग्री के लिए अलग-अलग वर्ष बंधन के आधार पर नीतियाँ बनाई गईं ।

शिक्षा नीति और रोजगार का सम्बन्ध-
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आजादी के बाद खेत एक मुख्य व्यवसाय था और स्कूली शिक्षा प्राप्त करना दोनों ही समानांतर विषय थे ।

दोनों ही एक दूसरे को ओवरलेपिंग नहीं कर रहे थे ।

पढ़ने वाले लोग अपनी खेती-किसानी भी कर रहे थे,पढ़ाई भी कर रहे थे !!
और ऐसा करने में उन्हें कोई शर्मिन्दगी भी महसूस नहीं होती थी ।

सोनार, लोहार,वस्त्रकार,चित्रकार और भी कई वंशानुगत व्यवसाय थे ..ये सब भी तो शिक्षा ही थे ।

दिक्कत कहाँ से शुरू हुई -
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लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्दति ने शिक्षा की पुरानी नदियों को पाटकर अपने हिसाब से एक नई ही नदी का प्रवाह कर दिया ।

हमारे गुरूकुल शिक्षा पद्धति को एक साजिश के तहत धीरे-धीरे खतम करके रोजगारपरक न होकर सिर्फ डिग्री आधारित शिक्षा नीति को हमारे देश में ग्राफ्ट कर दिया गया ।

जिससे बेरोजगार पैदा होने लगे ।
पहले स्थिति चिन्ताजनक नहीं थी मगर बेरोजगारी आज एक भयावह दौर से गुजर रही है !!

बदलती हुई शिक्षा पद्धति का प्रभाव -
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कम्प्यूटर और इन्टरनेट का हर जगह प्रचलन सर्वाधिक होने लगा है जिसको ध्यान में रखते हुए अधिकतर कोर्स रोजगारपरक हैं मगर एक स्थिति संतोषप्रद होने के बाद ..अब कम्प्यूटर डिग्रीधारी लोगों की संख्या ज्यादा होने की वजह से निश्चित ही स्थिति चिन्ताजनक हो चुकी है !!

बदलती हुई शिक्षा पद्धति का परिणाम-
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अत्यन्त चिन्ताजनक परिणाम है अब शिक्षा नीतियों में परिवर्तन के।

सिर्फ प्रयोगशाला बनकर रह गई हैं शिक्षा नीतियाँ।

शिक्षा में अनावश्यक छेड़छाड़ एक विस्फोट की स्थिति में है ।

सलाह यही है कि शिक्षा नीति बनाते समय सिर्फ और सिर्फ शिक्षाविदों को ठोस रणनीति बनाने के लिए स्वतंत्र किया जाये..वो भी अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप के ।

शिक्षा नीति बनाते समय हम ध्यान रखें कि हमारी बनाई हुई शिक्षा नीति रोबोट पैदा न करे..नैतिकता व मानवता आधारित हो एवं देशप्रेम की भावना जगाने वाली विषय वस्तु का अत्यधिक समावेश हो।

जय किसान, जय जवान, जय विज्ञान की भावना जगाने वाली एवं मौलिक व्यवसाय को अधिक से अधिक धरातल पर लागू करने वाली प्रणाली आधारित हो।

शिक्षा नीति युवाओं के अन्दर पलायनवाद की भावना की जगह एक फौजी की भाँति हर समस्या से लड़ना सिखाये..ऐसी दिशा आधारित हो !!

समस्या चाहे कितनी भी विकट हो मगर हमें समाधान की ओर ले जाये !!

निश्चित ही हमारी शिक्षा नीति ऐसी जरूर बनेगी जो नैतिक मूल्यों पर आधारित होगी जिससे भयमुक्त और अपराधमुक्त राष्ट्र के निर्माण में हर विद्यार्थी अपनी भूमिका पूरी जिम्मदारी से निभायेगा !!

हर युवा के हृदय में एक ही गौरवान्वित स्वर गूँजे ..जय हिन्द !!

लेखक : वेदव्यास मिश्र


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