चाहतों का शीला
क्या खूब मिला
वो भी ना मिले
दिल भी ना खिला
बस तरसती निगाहें हैं।
अधूरी चाहें
दर्द भरी कराहें हैं
बस बेखुदी की राहें हैं।
ज़ख्म भरे बज़्म
तड़प भरी आवाज़ें
सिर्फ़ दूर तलक
खाली सड़क
वीरान पड़ें चौबारे हैं।
सात सूरें पर साज नहीं
गीत हैं आवाज़ नहीं
मोहब्बत का परवाज़ नहीं
आगाज़ है अंजाम नहीं
खाली प्यालें ज़ाम नहीं
मोहब्बत में मोहब्बतों का
अब कोई पैगाम नहीं
खाली दिल है अब
तेरा नाम नहीं
सबकुछ तो है मेरे पास
बस तेरा साथ नहीं।
सबकुछ मिला
पर तू न मिला तो
क्या मिला ?
चाहतों का शीला
क्या खूब मिला...
वो भी ना मिला
दिल भी ना खिला
चाहतों का शीला
क्या खूब मिला..
चाहतों का शीला
क्या ख़ूब मिला..