लिखना जब से शुरू किया लिखती दिल से।
मगर शिकायत आज भी जाती नही दिल से।।
कुछ दास्ताँ अधूरी रह जाती जिन्दगी में जब।
तन्हाई कुलबुलाए तब कलम उठाती दिल से।।
गैरो रिश्ता निभा कर देख लिया वो गैर ही रहे।
जलन बढ जाती तब गीत गुनगुनाती दिल से।।
कहानी कहाँ शुरू हुई कहाँ आ गई 'उपदेश'।
कहना छोड़कर लिखान्तू पर लिखती दिल से।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद