मन कहता है
कि थाम लो इसे,यह तुम्हारे जीने का सहारा है।
वक्त ने मुस्कुराकर कहा-
तुम ही तुम्हारा सहारा हो।
हर बन्धन दर्द से बना है,
जो खुशी की चादर ओढ़े लुभाता है,
और तुम्हें तोड़ कर चला जाता है।
ज़िन्दगी तुम्हारी है, सिर्फ़ तुम्हारी,
तो दूसरों के सहारे क्यों जीनी है??
वन्दना सूद
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