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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

ईमान के देवता आज रात - वेदव्यास मिश्र


ईमान के देवता आज रात,
मेरे सपने में आये !!
आते ही ज़रा सकुचाये...,
फिर प्यार से मुस्कुराये !!

पहली बार देखा था मैंने,
उन्हें जीन्स और शर्ट में !!
मैंने पूछा भगवन,
आप और इस गेटअप में !!

फूल काॅन्फिडेन्स से
उन्होंने कहा,
समझे नहीं रे बांगड़ू..
जैसा देश वैसा भेष !!

वैसे भी तुम मनुष्यों को,
हमने दुनिया ही सौंप दी..
बिलकुल तुम्हारे एंड्रायड,
मोबाइल की तरह !!

आखिर यहाँ भी तो हमने,
स्विच ऑन-ऑफ..
अपडेट और अपग्रेड का,
बटन दे ही रखा है !!

ठीक उसी तरह...कुछ नहीं
तुम्हारी दुनिया में,
आने के लिए खुद को ज़रा सा..
अपग्रेड कर रखा है !!

उन्होंने बस इतना ही कहा,
चाहे जितना भी खुद को..
अपडेट या अपग्रेड करना !!
पर अपने मानवीय गुणों से
ज़रा भी समझौता मत करना !!

बाहर से चाहे जो भी पहनो,
जो भी खाओ..
सिर्फ अपने शौक के लिए !!
मगर अन्दर से इन्सान ही रहना !!

इस बदलाव में,
बस इतना ही ध्यान रखना..!!
कहीं लेओनी की तरह बाद में,
तुम्हें भी ये न सोचना पड़े.. !!

जब मेरे बच्चे बाद में बड़े होकर,
मेरी फिल्म देखेंगे..!!
कभी पुराने एलबम की तरह,
तो वो मेरे बारे में..
आख़िर क्या सोचेंगे ??

----वेदव्यास मिश्र


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

वन्दना सूद said

शौक़ जैसे भी रखें, पर अन्दर से इंसान ही रहना 👏👏बहुत बढ़िया सीख दी है sir 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

काबिले-तारीफ प्रतिक्रिया के लिए हृदय तल से आभार वन्दना जी !! 🙏🙏

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