कहते नही बदलेंगे उनके आते हालात बदल गए।
रिमझिम बूंदा-बंदी से जिनके ज़ज्बात बदल गए।।
आँखों में चमक आई मन में नाम दोहराने भर से।
शाम ले जाएगी किधर पल में हुकूमत बदल गए।।
अब तो तसल्ली से वास्ता कुछ घड़ी का 'उपदेश'।
खिड़कियाँ हिलने लगी संस्कार के बुत बदल गए।।
देखते-देखते रूमानियत की ताकत मजनूँ बन गई।
मोहब्बत में दुआ-सलाम की सियासत बदल गए।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद