कशिश तेरे प्यार की कुछ यूँ समा गई,
जैसे रूह में ख़ुशबू बनकर बस गई।
हर धड़कन में तेरा एहसास सजने लगा,
हर लम्हा तेरा नाम बुनने लगा।
तेरे बिना भी तू मेरे साथ रहता है,
तेरी खामोशी भी मुझसे बात कहती है।
जैसे चाँदनी चुपचाप रात को छूती है,
तेरी मोहब्बत यूँ ही दिल को रूबरू करती है।
तेरी यादें आईनों सी चमकती हैं,
हर कोने में तेरी सदा सी बजती है।
मैं चाहे दूर जाऊँ, खुद से भाग जाऊँ,
तेरे प्यार की जंजीरें मुझे रोक लेती हैं।
एक तस्लीम है ये, एक सज़दा है तुझसे,
कशिश है कुछ ऐसी तेरे सादगी से।
जिसे चाहा दिल से, वही बन गया दुआ,
तेरे प्यार ने मुझमें मुझसे बेहतर कुछ रचा।
तेरे ख्वाबों की परछाइयाँ अब भी चलती हैं,
मेरे सूने वीराने में बारिश सी बहती हैं।
तेरी हर बात में इक दुनिया सी दिखती है,
तेरी यादों की माटी भी इबादत सी लगती है।
ना कोई शर्त थी, ना कोई सौदा था यहाँ,
सिर्फ एहसासों से लिखा इश्क़ का फ़साना था वहाँ।
तेरी मौजूदगी ही मेरा श्रृंगार बन गई,
तेरे प्यार की कशिश... मेरी पहचान बन गई।