बुझे चिराग हैं जो उनकी कदर नहीं होती
अंधेरी रात की तो जल्दी सहर नहीं होती I
हमारे साथ ही क्यों है मजाक दुनिया का
सभी से हंस के मिले पर गुजर नहीं होती I
हरेक तरहा के हैं इल्जाम अपने सर आए
खता मुआफी की बरहम नजर नहीं होती I
वफा के नाम पे क्या क्या फरेब खाते रहे
था बेहतर दास मोहब्बत अगर नहीं होती I
किसी का क्या भला बिगाड़ा है हमने यहां
क्यूँ किसी की दास सहती नजर नहीं होती।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




