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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद की ग़ज़ल - ऑंखों से पिला के कर दे मख़मूर साक़िया

"ग़ज़ल"

ऑंखों से पिला के कर दे मख़मूर साक़िया!
मय-ख़ाना है यहाॅं से बहुत दूर साक़िया!!

तिरी मय का आज चर्चा है दूर-दूर तक!
लो मैं आ गया हूॅं हो के मजबूर साक़िया!!

मैं जब तलक पियूॅं मुझे पिलाए जा पैहम!
है पीने-पिलाने का यही दस्तूर साक़िया!!

देखो ज़ाहिद ग़लती से भी आए न इस तरफ़!
सारा नशा हो जाएगा काफ़ूर साक़िया!!

प्यासों का दिल तोड़ कर चल दिए मुॅंह मोड़
कर!
अच्छा नहीं है इतना भी ग़ुरूर साक़िया!!

तिरे पहलू से उठने के क़ाबिल नहीं 'परवेज़'!
तिरी मस्त-निगाही का है क़ुसूर साक़िया!!

- आलम-ए-ग़ज़ल परवेज़ अहमद
© Parvez Ahmad




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (8)

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उपदेश कुमार शाक्यावार said

लाजवाब ग़ज़ल ❤️🙏

शिवचरण दास said

हम तो पढ़कर ही बहके आलम में ये कैसा सरूर है
रिंदे बहके साकी मदहोश परवेज किसका कसूर हैँ

Lekhram Yadav said

हम भी हो गए नशे में चूर साकिया
तेरी, मय है बहुत, मशहूर साकिया
अहमद को दिल से हमारा सलाम
हम आपसे मिलेंगे जरूर साकिया

बहुत खूबसूरत और लाजवाब रचना, आपको सादर नमस्कार अहमद भाई।

मनोज कुमार सोनवानी "समदिल" said

वाह!! परवेज जी , प्रथम पंक्ति से लेकर अंतिम पंक्ति तक शब्द शब्द शानदार, पंक्ति पंक्ति शानदार,दिल को सुकून दे, इतना ईमानदार। क्या खूब लिखा है सर जी। प्यार के नशे में चूर और किसी के आंखों की नशे में डूबने की खूबसूरत हसरतों को बेहद दिवानगी से कलम चलाया है।मजा आ गया।ऐसा लग रहा जैसे पंक्तियों में से आपकी आवाज गूंज रही है।👌👌🌹🌹🙏🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

तह-ए-दिल से आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, उपदेश जी! नवाज़िश आपकी! दीपावली का पावन त्योहार आपको मुबारक हो! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

क़ुसूर तो उसी कम-बख़्त साक़िया का है! बहर-हाल, दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, दास जी! मैं इन्तज़ार में हूॅं कि आप कुछ लिखेंगे और आप हैं कि ख़ामोश बैठे हैं! दीपावली का पावन त्योहार मुबारक हो आपको! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

सब आपकी ज़र्रानवाज़ी है, यादव जी! वरना हम किस क़ाबिल! बहर-हाल दिल से शुक्रिया आपका! बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद आपका! आदाब! ❤️🙏

आलम-ए-ग़ज़ल - परवेज़ अहमद said

आपके इस प्यार और ख़ुलूस के लिए दिल की गहराइयों से बहुत-बहुत शुक्रिया आपका, मनोज जी! बहुत-बहुत आभार और इनायत आपकी! नवाज़िश! आदाब! ❤️🙏

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