मन से पूछा तन उत्तर देता।
मुस्कान लबों पर भर देता।।
कुछ दर्द अभी भी ज़िन्दा है।
उन लम्हो को सर्द कर देता।।
घायल मन का ज़ख्म कुरेदा।
असीमित पीड़ा से भर देता।।
तरबतर तन को करता तब।
किंकर्तव्यविमूढ़ कर देता।।
परवाह नही है वर्तमान की।
भविष्य के सपने भर देता।।
अरमानों के पंख फैला कर।
गठरियाँ में 'उपदेश' धर देता।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद