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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

बिना मुलाक़ात के

पहली मुलाक़ात में तो मुझे उनके बारे में
कुछ पता चला नहीं सिवा इसके कि वो बहुत
अच्छे हैं,
पहली मुलाक़ात में तो सोचा था मैंने यही कि
शायद वो और मैं एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा हैं।
पर पहली बार में ही तो हर किसी को नहीं
पहचान सकते ना,
क्योंकि दूसरी मुलाकात में लगने लगा कि वो
कुछ तो मेरे जैसे हैं।

पहली मुलाक़ात में पहचान कम थी
दूसरी मुलाक़ात में पहचान बढ़ गई,
पहली मुलाक़ात में जो कमी थी
वो दूसरी ‌मुलाक़ात में थोड़ी कम हो गई।
कोशिश थी कि मुलाक़ातें बढ़े, पहचान बढ़े,
पर फिर कभी कोई मुलाक़ात हुई नहीं।

मुलाक़ातें तो उनसे हो ना पाई पर अब बरसों
बाद एक ऐसा ज़रिया मिल गया,
कि बिना मुलाक़ातों के ही उनके दिल का राज़
मुझे मालूम हो गया।
दूसरी मुलाक़ात में लगा था कि वो कुछ तो
मेरे जैसे हैं,
पर इस ज़रिए से आज मुझे मालूम हुआ कि
वो तो बिल्कुल मेरे जैसे हैं।

सबसे जुदा विचार है उनके भी मेरी तरह,
जो छोड़ दे साथ अपना उसे फिर कभी साथ
देते नहीं वो भी मेरी तरह।
मैं तो पहले कुछ और ही सोच बैठी थी पर आज
मुझे मालूम हुआ कि
तन्हाई उन्हें भी पसंद है मेरी तरह।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

Lekhram Yadav said

सुप्रभात मेरी प्यारी बहना। आपकी ये तन्हाई की महफिल बहुत सुन्दर है। लेकिन ये तन्हाइयां भी कभी-कभी बेवफा बन जाती हैं। इतनी सुन्दर रचना पेश करने के लिए धन्यवाद।

रीना कुमारी प्रजापत replied

सुप्रभात, धन्यवाद!

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

व।ह बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति रीना मैंम, सादर प्रणाम स्वीकार करें

रीना कुमारी प्रजापत replied

Pranaam 🙏, shukriya

कमलकांत घिरी said

बहुत सुंदर रचना दीदी.. आफरीन 👌👌👏👏।।प्रणाम।।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks bhai

Vadigi.aruna said

Very nice mam

रीना कुमारी प्रजापत replied

🙏🙏🙏🙏

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