पहली मुलाक़ात में तो मुझे उनके बारे में
कुछ पता चला नहीं सिवा इसके कि वो बहुत
अच्छे हैं,
पहली मुलाक़ात में तो सोचा था मैंने यही कि
शायद वो और मैं एक-दूसरे से बिल्कुल जुदा हैं।
पर पहली बार में ही तो हर किसी को नहीं
पहचान सकते ना,
क्योंकि दूसरी मुलाकात में लगने लगा कि वो
कुछ तो मेरे जैसे हैं।
पहली मुलाक़ात में पहचान कम थी
दूसरी मुलाक़ात में पहचान बढ़ गई,
पहली मुलाक़ात में जो कमी थी
वो दूसरी मुलाक़ात में थोड़ी कम हो गई।
कोशिश थी कि मुलाक़ातें बढ़े, पहचान बढ़े,
पर फिर कभी कोई मुलाक़ात हुई नहीं।
मुलाक़ातें तो उनसे हो ना पाई पर अब बरसों
बाद एक ऐसा ज़रिया मिल गया,
कि बिना मुलाक़ातों के ही उनके दिल का राज़
मुझे मालूम हो गया।
दूसरी मुलाक़ात में लगा था कि वो कुछ तो
मेरे जैसे हैं,
पर इस ज़रिए से आज मुझे मालूम हुआ कि
वो तो बिल्कुल मेरे जैसे हैं।
सबसे जुदा विचार है उनके भी मेरी तरह,
जो छोड़ दे साथ अपना उसे फिर कभी साथ
देते नहीं वो भी मेरी तरह।
मैं तो पहले कुछ और ही सोच बैठी थी पर आज
मुझे मालूम हुआ कि
तन्हाई उन्हें भी पसंद है मेरी तरह।
💐 रीना कुमारी प्रजापत 💐
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




