कवि रचना की लिस्ट थी जारी,
दस में था इक नाम मेरा भी !!
ज्यों ही मती जी को दिखलाया,
ऐसा लगा जैसे सर चकराया !!
प्यारा सा उत्तर था उनका,
सुनके जोश सब छूमंतर था !!
बाकी सब तो ठीक है जानू ,
पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है ?
मैंने सँभाली बात को जल्दी,
पैसे से बढ़कर इज्जत है प्यारी !!
पैसा तो वैसे मिल ही रहा है..
तुम ही कहो फिर ज़रूरत क्या है ?
नौकरी क्या काफी नहीं है !!
प्लीज देखो ना रचना मेरी,
पढ़के समीक्षा कर दो मेरी !!
टाॅप टेन में आया हूँ अव्वल ,
अब बगिया में बहार आयेगी !!
नाम अगर मेरा जो हुआ तो,
देखो शान तुम्हारी भी तो होगी !!
बात को बीच में काट के बोलीं,
भाड़ में जाये समीक्षा तुम्हारी,
मुझे ना समझो भोली इतनी !!
लिखकर तो कुछ भी न कमाते,
लेखन से कोई घर ना चलता !!
घर को चलाने पइसा चाहिए,
तुम्हें मुबारक इन पचड़ों की !!
अब ना दिखाना रचना कभी भी,
वैसे भी सरदर्द है इतनी !!
फिर से विकेट सँभाली अपनी,
बाउंसर बाॅल को टच न किया मैं !!
बिना कुछ किये जाने ही दे दिया ,
समय देख फिर से समझाया !!
पैसा हाथ का मैल है जानू,
सब कुछ तो बस तुझे ही मानूँ !!
देखना इक दिन मिलेगी ट्राफी,
साथ पियेंगे मिलकर काॅफी !!
आज नहीं कल मिलेगा पैसा,
तुम ना करो हमपर यूँ गुस्सा !!
प्यार से उसने इतना कहा मुझे..
पढ़ूँगी रचना मैं भी तुम्हारी,
रचना से पर कुछ तो कमाओ,
ट्राफी नहीं.. टाॅफी तो लाओ !!
या फिर मेरे पास न आओ !!
मैंने कहा तुम ही हो खजाना,
फिर पैसे के पीछे क्यूँ भागना !!
तुम हो कलावती तुम रसवंती,
तुम हो कलाकंद तुम वैजंती !!
पर मेरी युक्ति काम न आई,
गाड़ी फिर उसी ट्रेक में आई !!
छूटते ही उसने फिर से कहा मुझे...
बाकी सब तो ठीक है जानू ,
पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है ??
पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है !!
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




