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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है -हास्य 😁 रचना वेदव्यास मिश्र

कवि रचना की लिस्ट थी जारी,
दस में था इक नाम मेरा भी !!

ज्यों ही मती जी को दिखलाया,
ऐसा लगा जैसे सर चकराया !!

प्यारा सा उत्तर था उनका,
सुनके जोश सब छूमंतर था !!
बाकी सब तो ठीक है जानू ,
पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है ?

मैंने सँभाली बात को जल्दी,
पैसे से बढ़कर इज्जत है प्यारी !!
पैसा तो वैसे मिल ही रहा है..
तुम ही कहो फिर ज़रूरत क्या है ?
नौकरी क्या काफी नहीं है !!

प्लीज देखो ना रचना मेरी,
पढ़के समीक्षा कर दो मेरी !!
टाॅप टेन में आया हूँ अव्वल ,
अब बगिया में बहार आयेगी !!

नाम अगर मेरा जो हुआ तो,
देखो शान तुम्हारी भी तो होगी !!

बात को बीच में काट के बोलीं,
भाड़ में जाये समीक्षा तुम्हारी,
मुझे ना समझो भोली इतनी !!
लिखकर तो कुछ भी न कमाते,
लेखन से कोई घर ना चलता !!
घर को चलाने पइसा चाहिए,
तुम्हें मुबारक इन पचड़ों की !!
अब ना दिखाना रचना कभी भी,
वैसे भी सरदर्द है इतनी !!

फिर से विकेट सँभाली अपनी,
बाउंसर बाॅल को टच न किया मैं !!
बिना कुछ किये जाने ही दे दिया ,
समय देख फिर से समझाया !!

पैसा हाथ का मैल है जानू,
सब कुछ तो बस तुझे ही मानूँ !!
देखना इक दिन मिलेगी ट्राफी,
साथ पियेंगे मिलकर काॅफी !!
आज नहीं कल मिलेगा पैसा,
तुम ना करो हमपर यूँ गुस्सा !!

प्यार से उसने इतना कहा मुझे..
पढ़ूँगी रचना मैं भी तुम्हारी,
रचना से पर कुछ तो कमाओ,
ट्राफी नहीं.. टाॅफी तो लाओ !!
या फिर मेरे पास न आओ !!

मैंने कहा तुम ही हो खजाना,
फिर पैसे के पीछे क्यूँ भागना !!
तुम हो कलावती तुम रसवंती,
तुम हो कलाकंद तुम वैजंती !!

पर मेरी युक्ति काम न आई,
गाड़ी फिर उसी ट्रेक में आई !!
छूटते ही उसने फिर से कहा मुझे...

बाकी सब तो ठीक है जानू ,
पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है ??
पर ये तो कहो इसमें पैसा कहाँ है !!


यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (15)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

वाह एक सुन्दर संवाद और कवि की उलझनों को बहुत सुन्दर रूप दिया है आचार्य जी हास्य से भरपूर रचना, मैं तो कवि भी नहीं हूँ फिर भी सुनना पड़ता है "पैसा कहाँ है" आपकी मनोस्थिति समझ सकता हूँ प्रणाम सुप्रभात 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

अहोभाव मेरे हृदय एवं मन मित्र अशोक पचौरी जी !! बहुत-बहुत शुभाशीष नमन करता हूँ आपके अपनेपन को..हार्ट टचिंग सम्बोधन को !! श्रीमती जी को रचना पढ़ सुनकर सुनाया मैंने !! अन्तत: मुस्कुराकर उन्होंने पूछ ही लिया- ये तो बताइये, ये समीक्षा कौन है ?? मिलवाइये कभी !! कविता का फीडबेक तो मिला नहीं बल्कि एक नई समस्या पैदा हो गई !! अब कैसे बताऊँ कि ये समीक्षा कौन है 😍😁😁😍

डॉ कृतिका सिंह said

Bhut achaa likha aapne...kavi ki paresaniyan lines m bata di. Sarswati maa ka aashirvad aap pr yu hi bna rahe.

रीना कुमारी प्रजापत said

वाह! भाईसाहब क्या खूब लिखा है आपने, पैसे से बढ़कर इज़्ज़त है प्यारी, देखना एक दिन मिलेगी ट्रॉफी एक दिन मिलेगा पैसा भी.... व्यास जी मन खुश हो गया ये रचना पढ़कर, पैसों के मिलने पर जो खुशी मिलती है ना उससे ज्यादा खुशी तब मिलती है जब हमारी रचना कोई पढ़ता है और उन्हें पसंद आ जाती है और फिर उस रचना को लेकर जो खयाल उनके दिल में आता है वो उसे comment करते हैं उस comment को पढ़कर पैसों से ज्यादा खुशी मिलती है मानो दुनिया की सारी संपत्ति हमे मिल गई हो,

वेदव्यास मिश्र said

डॉ कृतिका सिंह जी, नतमस्तक नमन आभार सहृदय 🙏🙏 आपको अन्दाज़ा भी न होगा मैम, आपकी प्रतिक्रिया ने मुझे आल्हादित कर दिया है !! उत्साहित कर दिया है आपने माँ सरस्वती जी का नाम लेकर !! शब्द कम पड़ रहे हैं आज कृतज्ञता व्यक्त करने में !! माँ सरस्वती की कृपा हम सभी पर बनी रहे !! 🙏🙏💜💜🙏🙏

आत्माराम जानकी said

बहुत खूब कवि समुदाय की सामूहिक समस्या

Kamalkant said

Aho!! Anand hi anand param anand😁😁

वेदव्यास मिश्र said

रीना कुमारी प्रजापत जी, मेरी प्यारी बहन, ऊर्जा का अविरल, अनवरत संचार कर दिया है आपकी प्रतिक्रिया ने !! खुशी इस बात की हो रही है कि हम सभी रचनाकार एक परिवार की तरह जुड़े हैं आपस में !! हम एक-दूसरे का यूँ ही उत्साहवर्धन करते रहें..इससे बड़ा इनाम और हो भी क्या सकता है भला !! ईश्वर से विनती है, हम सब स्वस्थ रहें और मस्त रहें !! नमन पल्लवित एवं आभारित हृदय से 🙏🙏💜💜🙏🙏

Amit Shrivastav said

bahut Sundar hasya Rachna vastav mein kavi Prem aur pratikriyaen hi kamata hai Mera aapki unse anurodh hai ki aapko mile is Prem Ko ek Amulya dhan ki tarah hi samjhe

वेदव्यास मिश्र said

Kamalkant जी, बिलकुल सही कहा भाई साहब आपने 🙏🙏 साहित्य से बढ़कर कोई आनन्द नहीं !! लिखने का भी आनन्द और पढ़ने का भी आनन्द !! इस मैखाने के जाम का नशा कभी उतरता ही नहीं !! परम सौभाग्य आपका आगमन !! नमस्कार 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

आत्माराम जानकी जी, आनन्दित हृदय से आभार आपका 🙏🙏 मेरा परम सौभाग्य है आप सभी दोस्तों की ऊर्जावान उपस्थिति 🙏🙏

वेदव्यास मिश्र said

Amit Shrivastav जी, बहुत ही प्यारी हैं आपकी भाभी यानि मेरी मती जी !! समझ गई हैं वो..समझती भी हैं ..तभी तो मैं लिख पा रहा हूँ !! नमन आपको और आपकी खूबसूरत अपनेपन भरी भावना को !! 💜💜

वेदव्यास मिश्र said

आप सभी ने इतना प्यार दिया है इस पोस्ट को..इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया..आभार नमन 🙏🙏💖💖🙏🙏

वन्दना सूद said

बहुत सुन्दर संवाद 👌👌👏👏

वेदव्यास मिश्र said

वन्दना सूद जी, नमन हृदयंगम 🙏💝💝🙏 बहुत दिनों के बाद लिखन्तु डाॅट काॅम से आपकी प्रतिक्रिया आई तो बहुत अच्छा लगा !! समय के अभाव में लिखन्तु डाॅट काॅम में अपनी उपस्थिति नहीं दे पाए रहा हूँ !! मगर समय मिलते ही कुछ नई रचनाओं के साथ पुन: उपस्थित होऊँगा !!

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