बिन मौसम बादल बरसे,
तेरे लिए हम महीनों तरसे।
कैसी है ये बैचेनी दिल में ?
बीत गए हमे तुमसे मिले कई अरसे।
बिन मौसम बादल बरसे....
बिन मौसम बादल बरसे,
आंखों से तुम्हारे कितने आंसु बहते।
जानते हैं हम मेरी जान सब,
कि मेरे लिए तुम कितना तड़पे।
बिन मौसम बादल बरसे.....
बिन मौसम बादल बरसे,
नैनों से मेरे भी अश्रु टपके।
कैसा है ये दर्द सीने में,
कि ये अश्क़ बन झर - झर झरते।
बिन मौसम बादल बरसे....
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️