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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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The Flower of Word by Vedvyas MishraThe Flower of Word by Vedvyas Mishra
Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

सुना है नदियां मर रही है - अशोक सुथार

हम सब मर रहे हैं
मनुष्य जाति अनर्थ कर रही है
सुना है नदियां मर रही है
झरने सुख रहे है
इस विपदा के चलते भोग दुख रहे हैं
नदियां मर रही है

नदियों का मरना कैसा
सरस्वती भी सुख चुकी
सिन्धु का विभाजन हुवा
वो भी मोड़ मुख चुकी

नदियां सुख चुकी ओर सुख रही है
वो जो सूक रही
मानव क्रिया पर कूक रही है

सुना है नदियो के आजम ने
बांध का जाजम बिछाया है
बांध जैसी जाजम से शहर में पृलय लाया है

नाराज़ होकर नदी ने अपना मुंह मोड़ लिया
अपना नाता उस धरती से तोड़ लिया

सुना है सागर ओर माहासागर भर रहे हैं
ना जाने मानव यह कोन सी क्रिया कर रहे हैं
जल्दी जल्दी हम खुद को मोत के नजदीक ला रहे हैं
नदियों में विष बा रहे हैं
नदियां मर रही है

वो दिन भी आयेगा
मानव गंगा को रीति पायेगा
घुम घुम कर इस धरा पर अपनी कृति गायेगा

बस 40 साल
हा यह जो भुमि गत पानी है
इतनी इसकी कहानी है
आंख खोल कर देख मानव
ये कैसी मनमानी है


नदियां सुख रही ओर मर रही है
मानवता जींदा है तो क्यों कुछ न कर रही है

कहत कवि राय
न अपना छोटा तन कर
सबका उद्धार करने यहां पभु आयेंगे कलकी बनकर

अशोक सुथार

कठिन शब्दार्थ --
आजम -- मानव विशेष
जाजम -- बांध रुपी बाधा




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

+

Sanjay Srivastva said

वाह, मार्मिक प्रसंग

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Bahut khoob Uttam Rachna...Pranam 🙏🙏

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