तुम तो वही हो याद करो प्रतिवादो को।
उनमें से कुछ झूठे निकले अपवादों को।।
माना संबाद जरूरी था उस चौबारे पर।
शब्दों की बैठक में उलझे वाद विवादो को।।
अनकहे भाव से प्रेरित मैं भी और तुम भी।
मिलना जुलना अच्छा लगता संबादो को।।
मेरी समझ ने रास्ता खोजा छलछनदो से।
फिर शासन सौंप दिया क्षणिक प्रमादो को।।
जिनको चाँद सितारे समझ बैठे थे 'उपदेश'।
वो दुखी दिखे छोड़ न पाए अपने द्वंदो को।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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