वह बादल की तरह आई।
और बरस कर चली गई।।
हवा का खूब साथ मिला।
शहर छोड़ कर चली गई।।
मौसम पर यकीन कौन करे।
फितरत बदल कर चली गई।।
अजनबी से हाथ मिला कर।
'उपदेश' मुस्कुराती चली गई।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद
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अजनबी से हाथ मिला कर।
'उपदेश' मुस्कुराती चली गई।।
- उपदेश कुमार शाक्य वार 'उपदेश'
गाजियाबाद