बचपन के ज़माने याद मुझे।
कुछ दोस्त पुराने याद मुझे।।
निकल जाते थे दूर खेतों में।
घास की पोटली लाना याद मुझे।।
स्कूल से लौटना खाना खाना।
छुपा छिपाई खेलना याद मुझे।।
कभी गुल्ली तोड़ती खिड़की।
पड़ोसियों के ताने याद मुझे।।
दो पैसे के लिए मंदिर जाते।
गरीबी के 'उपदेश' याद मुझे।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद