आज को बस कल लिख रहे हैं हम
देखिए कैसी ग़ज़ल लिख रहे हैं हम
जो झूंठ है वो झूंठ है वो सच नहीं है
उसे भी कड़वा सच लिख रहे हैं हम
हर किसी को खामियां गिनवा रहे हैं
अपनी सारी खूबियां लिख रहे हैं हम
बच गए तो बेदाग है ये दामन हमारा
पकड़े तो मजबूरियां लिख रहे हैं हम
दास हम भी खूब हैं सबके खलीफा
दाम पा लहू है पानी लिख रहे हैं हम