ॐ नमः शिवाय
नमन हो तुमको, हे त्रिलोकनाथ,
शशि भूषित मस्तक, गंगाधरनाथ।
डमरू की ध्वनि से गूंजे दिशाएँ,
तांडव से सृष्टि की लयें बनाएं।।
नीलकंठ, करुणा के सागर,
त्रिनेत्रधारी, महाकाल के आधार।
भस्म रमाए, सर्प गले में,
शक्ति के संग, वास करे मन में।।
भक्तों के दुख हरते हर,
सद्गति के तुम एक मात्र द्वार।
शरण में तेरी जो भी आता,
काल चक्र से वह बच जाता।।
हे भोलेनाथ, कृपा बरसाओ,
भवसागर से पार लगाओ।
हर हर महादेव की गूंज हो भारी,
करो कृपा शिव, हे त्रिपुरारी।।
🔱 हर हर महादेव 🔱