एक ख़ूबसूरत कलम
कहाँ से लाएँ….ऐसी कलम,
कैसे लिखें….ऐसी कविता।
कहाँ से लाएँ मन की वह सुन्दरता,
कि कविता की पंक्तियाँ
सुहावनी सीपियाँ बन जाएँ,
जिसमें छिपे मोती
झाँक झाँक कर सबको पुकारें ।
कहाँ से लाएँ वाणी की ऐसी मधुरता,
कि प्रत्येक शब्द अमृतमय हो जाए,
जिसकी जल सी धारा
सबके मन को भिगोती चली जाए ।
कहाँ से लाएँ मनमोहक उपमाएँ,
कि कविता की हर पंक्ति
घनी फैली बेलें बन जाएँ,
जो सबकी भावनाओं की तरंगों को छेड़कर
सुंदर साज़ बजाए।
कहाँ से लाएँ….ऐसी कलम,
कैसे लिखें….ऐसी कविता।
वन्दना सूद
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