ज़िंदगी तुझसे शिकायत नहीं, मुहब्बत है,
जितना दिया है तूने, वो भी अनगिनत है।
नासमझी में कहता था ये दे दो, वो दे दो,
जितना दिया मुझको वो ही तो बरकत है।
सुख और दुख, दोनों का हैं अपना महत्व,
इन दोनों के बीच ही ज़िंदगी खूबसूरत है।
न मुझे कम मिला, न मिला कभी ज्यादा,
ज़िंदगी देती उतना ही, जितनी जरूरत है।
🖊️सुभाष कुमार यादव